भारतीय वैदिक ज्योतिष में पुखराज रत्न को बृहस्पति ग्रह का रत्न माना गया है, जो जीवन में ज्ञान, सुख, धन, संतान और वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए शुभ माना जाता है। मगर बहुत लोग जानना चाहते हैं कि pukhraj ke sath konsa ratna pahne? क्या पुखराज के साथ मोती, मूंगा, माणिक, नीलम, पन्ना, गोमेद जैसे रत्न पहन सकते हैं? और अगर पहन सकते हैं, तो उनके क्या लाभ होते हैं? आइए विस्तार से जानते हैं।
क्या पुखराज और मोती एक साथ पहन सकते हैं? (pukhraj ke sath moti pahan sakte hain)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज (जो गुरु अर्थात बृहस्पति का रत्न है) और मोती (जो चंद्रमा का रत्न है) को सामान्यतः एक साथ पहना जा सकता है, क्योंकि गुरु और चंद्रमा परस्पर मित्र ग्रह माने जाते हैं। इनके मिलकर पहने जाने से मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन, वाणी में मधुरता, ज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति जैसे लाभ मिल सकते हैं। आर्थिक दृष्टि से भी यह संयोजन सकारात्मक असर डाल सकता है, विशेषकर जब व्यक्ति की कुंडली में गुरु और चंद्रमा शुभ भावों में स्थित हों या अनुकूल दशा चल रही हो।
लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है कि किसी भी रत्न को पहनने से पहले अपनी कुंडली का विश्लेषण कराना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति के जन्मकालीन ग्रह योग अलग होते हैं। किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि चंद्रमा या गुरु अशुभ भाव में हों, या उनके बीच कोई प्रतिकूल दृष्टि या दशा प्रभाव हो, तो यह संयोजन लाभ के बजाय हानि भी पहुँचा सकता है।
पुखराज और मोती एक साथ पहनने के लाभ
पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, और मोती, जो चंद्रमा का रत्न है, दोनों को एक साथ पहनने से मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। गुरु ज्ञान, धन और आध्यात्मिक प्रगति के लिए उत्तरदायी है, जबकि चंद्रमा मन, वाणी की मधुरता और पारिवारिक सुख को नियंत्रित करता है। इनके संयुक्त प्रभाव से व्यक्ति के सोचने की शक्ति बेहतर होती है, आर्थिक पक्ष मजबूत होता है और वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बढ़ता है। यह संयोजन ध्यान और साधना में भी सहायक माना जाता है, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खुलता है। हालांकि, किसी भी रत्न को पहनने से पहले योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेना ज़रूरी है, क्योंकि कुंडली में ग्रहों की स्थिति हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग फल देती है।
क्या पुखराज और माणिक एक साथ पहन सकते हैं? (pukhraj ke sath manik pahan sakte hain)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज (जो गुरु अर्थात बृहस्पति का रत्न है) और माणिक (जो सूर्य का रत्न है) को आमतौर पर एक साथ पहनना संभव है, क्योंकि सूर्य और गुरु दोनों परस्पर मित्र ग्रह माने जाते हैं। इनके संयुक्त प्रभाव से आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, विद्या और आध्यात्मिक प्रगति में वृद्धि हो सकती है। यह संयोजन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अच्छा होता है जिनकी कुंडली में गुरु और सूर्य शुभ भावों में स्थित हों, या जब इन ग्रहों की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो।
लेकिन याद रखें कि हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य या गुरु अशुभ भावों में हों, या एक-दूसरे से प्रतिकूल दृष्टि में हों, तो यह संयोजन अनुकूल परिणाम देने के बजाय समस्याएँ भी पैदा कर सकता है, जैसे अहंकार में वृद्धि, स्वास्थ्य संबंधी चुनौती या पारिवारिक तनाव।
पुखराज और माणिक एक साथ पहनने के लाभ
पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, और माणिक, जो सूर्य का रत्न है, दोनों को एक साथ पहनने से कई प्रकार के लाभ माने जाते हैं, विशेषकर तब जब व्यक्ति की कुंडली में गुरु और सूर्य शुभ भावों में स्थित हों या अनुकूल दशा चल रही हो। इस संयोजन से आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है, व्यक्ति के व्यक्तित्व में तेज़ आता है और निर्णय शक्ति मज़बूत होती है। साथ ही, बृहस्पति के प्रभाव से विद्या, ज्ञान और आध्यात्मिक समझ बढ़ती है, जबकि सूर्य मान-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाता है। आर्थिक दृष्टि से भी यह मेल फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि गुरु धन और विस्तार के कारक हैं और सूर्य प्रशासनिक सफलता तथा प्रसिद्धि देता है। दोनों के सम्मिलित प्रभाव से व्यक्ति का बौद्धिक स्तर ऊँचा होता है और ध्यान, साधना जैसी आध्यात्मिक प्रवृत्तियाँ भी मज़बूत होती हैं। हालांकि, हर कुंडली में ग्रहों की स्थिति भिन्न होती है, इसलिए किसी भी रत्न को पहनने से पहले योग्य ज्योतिषी से व्यक्तिगत कुंडली का विश्लेषण कराना ज़रूरी है, ताकि यह तय किया जा सके कि आपके लिए यह संयोजन सच में लाभकारी रहेगा या नहीं।
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क्या पुखराज और मूंगा एक साथ पहन सकते हैं? (munga aur pukhraj ek sath pahan sakte hain)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज (बृहस्पति का रत्न) और मूंगा (मंगल का रत्न) को एक साथ पहनना सामान्य रूप से संभव है, क्योंकि गुरु और मंगल आपस में मित्र ग्रह माने जाते हैं। इनके संयोजन से साहस, आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और मानसिक स्थिरता में वृद्धि हो सकती है। बृहस्पति व्यक्ति को ज्ञान, धर्म और उच्च सोच देता है, जबकि मंगल साहस, ऊर्जा और कार्यक्षमता को प्रबल करता है। इस कारण पुखराज और मूंगा साथ पहनने से व्यक्ति का आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है, साथ ही आर्थिक और करियर में उन्नति के अवसर भी बनते हैं।
लेकिन यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, और गुरु व मंगल की स्थिति हर कुंडली में भिन्न हो सकती है। यदि किसी की कुंडली में गुरु और मंगल अशुभ भावों में हों, या विपरीत दृष्टि में हों, तो यह संयोजन नकारात्मक प्रभाव भी दे सकता है जैसे क्रोध में वृद्धि, निर्णय में गलतियाँ या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
इसीलिए पुखराज और मूंगा एक साथ पहनने से पहले अपनी जन्म कुंडली का विस्तार से विश्लेषण किसी योग्य ज्योतिषी से ज़रूर कराएँ, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपके लिए यह संयोजन लाभकारी रहेगा या नहीं।
मूंगा और पुखराज एक साथ पहनने के लाभ
मूंगा, जो मंगल ग्रह का रत्न है, और पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, को एक साथ पहनने से व्यक्ति के जीवन में साहस, आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा सकती है। बृहस्पति ज्ञान, धर्म, आदर्शों और जीवन में स्थिरता का कारक है, जबकि मंगल ऊर्जा, पराक्रम, साहस और उत्साह देता है। इन दोनों ग्रहों का सम्मिलित प्रभाव व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सक्रिय और सकारात्मक बनाता है, जिससे करियर, व्यवसाय या प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की संभावनाएँ बढ़ती हैं। साथ ही यह संयोजन नेतृत्व क्षमता को मज़बूत करता है, आर्थिक पक्ष को सहारा देता है और मानसिक दृढ़ता विकसित करता है, जिससे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना अधिक आत्मविश्वास से किया जा सकता है। हालांकि, हर व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग होती है, इसलिए यह तय करने से पहले कि मूंगा और पुखराज वास्तव में आपके लिए शुभ रहेंगे या नहीं, कुंडली का विशेषज्ञ से विश्लेषण करवाना अनिवार्य है।
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क्या पुखराज और पन्ना एक साथ पहन सकते हैं? (pukhraj ke sath panna pahan sakte hain)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज (बृहस्पति का रत्न) और पन्ना (बुध का रत्न) को एक साथ पहनने के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि बृहस्पति और बुध आपस में शत्रु ग्रह माने जाते हैं। सिद्धांततः गुरु और बुध के स्वभाव में अंतर है: बृहस्पति आध्यात्मिकता, धर्म, विस्तार और गंभीरता का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि बुध तर्क, व्यवसायिक समझ, बुद्धि और व्यवहारिकता से जुड़ा है। इस कारण अगर कुंडली में इन दोनों ग्रहों की स्थिति अनुकूल न हो, तो एक साथ पहनने से मन में द्वंद्व, निर्णय में भ्रम या पढ़ाई/व्यवसाय में रुकावटें आ सकती हैं।
हालाँकि, कुछ विशेष कुंडली योगों में जैसे यदि बुध और गुरु दोनों शुभ भावों के स्वामी हों या एक-दूसरे के मित्र ग्रहों के प्रभाव में हों तो योग्य ज्योतिषी की सलाह पर इन्हें एक साथ पहनने की अनुमति दी जा सकती है। मगर यह बहुत दुर्लभ होता है और बिना कुंडली देखे ऐसा करना सही नहीं माना जाता।
पुखराज और पन्ना एक साथ पहनने के लाभ
पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, और पन्ना, जो बुध का रत्न है, को एक साथ पहनने से कुछ विशेष परिस्थितियों में लाभ भी हो सकते हैं, खासकर तब जब कुंडली में गुरु और बुध दोनों ही शुभ भावों के स्वामी हों या मित्र ग्रहों के प्रभाव में हों। इस संयोजन से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता और निर्णय शक्ति में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि बृहस्पति ज्ञान और उच्च शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि बुध तर्क, व्यावहारिकता और संचार कौशल को मज़बूत करता है। इनके संयुक्त प्रभाव से व्यक्ति की सोच में संतुलन आता है, वाणी में आत्मविश्वास और स्पष्टता बढ़ती है, और व्यवसाय या शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के अवसर अधिक बन सकते हैं। इसके अलावा पुखराज से जीवन में स्थिरता और नैतिकता आती है, जबकि पन्ना नए विचारों और रचनात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है, जिससे जीवन में संतुलित विकास संभव होता है।
क्या नीलम और पुखराज एक साथ पहन सकते हैं? (neelam or pukhraj ek sath pahan sakte hain)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार नीलम (शनि का रत्न) और पुखराज (बृहस्पति का रत्न) को एक साथ पहनने को लेकर सामान्य रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि बृहस्पति और शनि स्वभाव से एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत माने जाते हैं। गुरु ज्ञान, विस्तार, धर्म और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि शनि अनुशासन, कर्म, विलंब और गंभीरता का। इनके स्वभाव में यह विरोधाभास कुंडली के अनुसार मिलकर कुछ मामलों में लाभ भी दे सकता है, पर कई बार मानसिक उलझन, असमंजस, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ या जीवन में रुकावटें भी ला सकता है।
फिर भी, कुछ विशेष योगों में जैसे कुंडली में शनि और गुरु दोनों ही शुभ भावों के स्वामी हों या इनकी दशा/अंतर्दशा में मेल हो योग्य ज्योतिषी की सलाह पर इन्हें एक साथ पहनना संभव हो सकता है। लेकिन यह दुर्लभ और व्यक्ति विशेष पर निर्भर है।
नीलम और पुखराज एक साथ पहनने के लाभ
नीलम, जो शनि का रत्न है, और पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, को कुछ विशेष परिस्थितियों में एक साथ पहनने से जीवन में संतुलन और स्थिरता जैसे लाभ देखे जा सकते हैं। बृहस्पति ज्ञान, विस्तार, भाग्य और नैतिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि शनि अनुशासन, परिश्रम, धैर्य और दीर्घकालिक सफलता से जुड़ा है। इनके सम्मिलित प्रभाव से व्यक्ति के सोचने की शक्ति में गहराई आती है, गंभीरता के साथ-साथ सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है और जीवन में बड़े निर्णय अधिक ठोस और स्थायी साबित होते हैं। इसके अलावा पुखराज के कारण सामाजिक सम्मान और आध्यात्मिक प्रगति के अवसर बनते हैं, जबकि नीलम जीवन की बाधाओं को कम कर परिश्रम का फल दिलाने में मदद करता है। व्यवसाय या करियर में यह संयोजन दीर्घकालीन सफलता और सम्मान की संभावना को बढ़ा सकता है।
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क्या पुखराज और गोमेद एक साथ पहन सकते हैं? (pukhraj ke sath gomed pahan sakte hain)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज (जो बृहस्पति का रत्न है) और गोमेद (जो राहु का रत्न है) को एक साथ पहनने की सामान्यत: सलाह नहीं दी जाती। इसका कारण यह है कि बृहस्पति और राहु स्वभाव से बिल्कुल विपरीत ग्रह माने जाते हैं: बृहस्पति सत्व गुण, धर्म, ज्ञान, नैतिकता और शुभ प्रभाव का कारक है, जबकि राहु तमस गुण, भौतिकता, भ्रम, अप्रत्याशितता और सांसारिक लालच से जुड़ा होता है।
यदि ये दोनों ग्रह किसी व्यक्ति की कुंडली में विशेष योग बनाते हों, जैसे गुरु और राहु एक ही भाव में शुभ स्थिति में हों या राहु की महादशा में गुरु की अंतर्दशा चल रही हो और कुंडली में यह मेल लाभकारी हो, तो कुछ विशेष मामलों में योग्य और अनुभवी ज्योतिषी की सलाह पर इन्हें एक साथ धारण किया जा सकता है। मगर यह स्थिति बहुत कम लोगों की कुंडली में बनती है और बिना विश्लेषण ऐसा करना अक्सर उलझन, मानसिक अशांति, निर्णय में भ्रम, या स्वास्थ्य संबंधी समस्या का कारण बन सकता है।
पुखराज और गोमेद एक साथ पहनने के लाभ
पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, और गोमेद, जो राहु का रत्न है, को सामान्यत: एक साथ पहनने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि बृहस्पति और राहु स्वभाव से एक-दूसरे के विपरीत ग्रह माने जाते हैं। फिर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में, जब कुंडली में राहु और गुरु दोनों ही शुभ भावों के स्वामी हों या महादशा/अंतर्दशा में विशेष मेल बन रहा हो, तो योग्य ज्योतिषी की सलाह पर इन्हें एक साथ पहनने से कुछ लाभ देखे जा सकते हैं।
ऐसे संयोजन से व्यक्ति की गहरी शोध क्षमता, तर्क शक्ति और विश्लेषणात्मक सोच में वृद्धि हो सकती है। राहु भौतिक सफलता, राजनीति, विदेशी संपर्क और रहस्यमय क्षेत्रों में प्रगति दिलाता है, जबकि बृहस्पति नैतिक दृष्टि, ज्ञान और जीवन में स्थिरता देता है। इनके साथ पहनने से व्यक्ति के सोच में संतुलन आता है, अति महत्वाकांक्षा को विवेक के साथ साधने में मदद मिलती है और जीवन में अचानक मिलने वाले अवसरों का सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, यह मेल करियर में जोखिम लेने की क्षमता और गहरे विषयों को समझने की शक्ति को भी बढ़ा सकता है।
पुखराज, मूंगा, मोती एक साथ पहनने के लाभ
पुखराज (बृहस्पति का रत्न), मूंगा (मंगल का रत्न) और मोती (चंद्रमा का रत्न) को एक साथ पहनना वैदिक ज्योतिष में विशेष रूप से तब लाभकारी माना जाता है, जब कुंडली में बृहस्पति, मंगल और चंद्रमा तीनों ही शुभ भावों के स्वामी हों या इनकी महादशाअंतर्दशा का अनुकूल संयोग हो। यह संयोजन व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास, मानसिक स्थिरता, साहस और विवेक जैसे गुणों को एक साथ मज़बूत करता है।
बृहस्पति ज्ञान, नैतिकता और भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे सोच में सकारात्मकता और निर्णय क्षमता में स्थिरता आती है। मंगल साहस, ऊर्जा और कार्यक्षमता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता और चुनौतियों से जूझने की शक्ति आती है। वहीं चंद्रमा भावनाओं, मन और शांति का कारक है, जो मानसिक संतुलन और पारिवारिक सुख को मज़बूत करता है। इनके सामूहिक प्रभाव से व्यक्ति न सिर्फ़ आत्मविश्वासी और ऊर्जावान बनता है, बल्कि सोच और भावनाओं में संतुलन रख पाता है, जिससे करियर, शिक्षा, व्यवसाय और निजी जीवन में सफलता की संभावना भी बढ़ती है।
हालाँकि, यह लाभ तभी पूर्ण रूप से प्राप्त होते हैं जब कुंडली में बृहस्पति, मंगल और चंद्रमा एक-दूसरे के मित्र हों या इनके बीच कोई गंभीर विरोध न हो। यदि कुंडली में इनमें से कोई ग्रह अशुभ भाव में स्थित हो या एक-दूसरे से प्रतिकूल दृष्टि में हो, तो यह संयोजन उल्टा असर भी डाल सकता है, जैसे मानसिक तनाव, गुस्सा बढ़ना या निर्णय में भ्रम।
पुखराज किसको पहनना चाहिए? (pukhraj kisko pahnana chahie)
पुखराज रत्न (Yellow Sapphire) गुरु ग्रह (बृहस्पति) से संबंधित होता है और इसे वही व्यक्ति पहन सकता है जिसकी कुंडली में गुरु मजबूत स्थिति में हो या जिसे ज्योतिषीय सलाह के अनुसार इसकी आवश्यकता हो। यह रत्न विशेष रूप से धनु और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा, यदि किसी की कुंडली में गुरु ग्रह निर्बल हो या शुभ फल नहीं दे रहा हो, तो पुखराज पहनने से विद्या, वैवाहिक जीवन, संतान सुख और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। लेकिन इसे पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
कितने रत्न एक साथ पहन सकते हैं
वैदिक दृष्टि से देखा जाए तो कितने रत्न एक साथ पहने जा सकते हैं इसकी कोई निश्चित संख्या तय नहीं है; यह पूरी तरह से व्यक्ति की जन्म कुंडली, ग्रहों की स्थिति, उनकी दशाअंतर्दशा और ग्रहों के आपसी संबंधों पर निर्भर करता है। कुछ लोगों की कुंडली में केवल एक ही रत्न पहनना लाभकारी होता है, जबकि कुछ विशेष कुंडली में 34 या उससे अधिक रत्न भी पहनने की अनुमति दी जा सकती है। सिद्धांत रूप से जितने ग्रह कुंडली में शुभ प्रभाव दे रहे हों या जिनकी महादशा/अंतर्दशा चल रही हो, उतने ग्रहों के रत्न एक साथ धारण किए जा सकते हैं बशर्ते वे एकदूसरे के मित्र ग्रह हों या कुंडली में परस्पर सहयोगी भावों के स्वामी हों।
लेकिन यहाँ सबसे ज़रूरी बात यही है कि सभी रत्नों के स्वामी ग्रह आपस में शत्रु न हों, अन्यथा एक साथ पहनने पर शुभ फल के बजाय मानसिक असंतुलन, स्वास्थ्य समस्या या जीवन में रुकावटें भी पैदा हो सकती हैं। इसलिए रत्नों की संख्या तय करने से ज़्यादा ज़रूरी यह है कि उनकी ग्रहों से जुड़ी ऊर्जा कुंडली में कैसे काम कर रही है।
निष्कर्ष
भारतीय वैदिक ज्योतिष में रत्न धारण करना केवल सौंदर्य या परंपरा का विषय नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की दशा, भावों की स्थिति और ग्रहों के आपसी संबंधों पर आधारित गहन विज्ञान है। पुखराज के साथ मोती, मूंगा और माणिक जैसे रत्न अक्सर एक साथ पहने जा सकते हैं क्योंकि इनके स्वामी ग्रह – बृहस्पति, चंद्रमा, मंगल और सूर्य – आपस में मित्र माने जाते हैं और मिलकर आत्मविश्वास, मानसिक स्थिरता, साहस, ज्ञान और नेतृत्व क्षमता जैसे गुणों को प्रबल करते हैं। वहीं पुखराज के साथ पन्ना, नीलम या गोमेद जैसे रत्नों को एक साथ पहनने से पहले विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि इनके स्वामी ग्रह आपस में शत्रु या विरोधी स्वभाव के हो सकते हैं, जिससे जीवन में उलझन, मानसिक तनाव या अनचाही रुकावटें भी उत्पन्न हो सकती हैं।
अतः कितने रत्न या कौन-से रत्न एक साथ पहनने चाहिए, इसका निर्णय कोई सामान्य नियम नहीं, बल्कि व्यक्ति की जन्म कुंडली, दशा-अंतर्दशा और ग्रहों की वास्तविक स्थिति के आधार पर योग्य और अनुभवी ज्योतिषी द्वारा ही किया जाना चाहिए। बिना कुंडली देखे रत्न पहनना लाभ के बजाय हानि पहुँचा सकता है। इसलिए रत्न धारण करने से पहले कुंडली का विस्तार से विश्लेषण अवश्य कराएँ, ताकि आपके जीवन में सही दिशा में ऊर्जा का प्रवाह हो सके और आप वास्तविक लाभ प्राप्त कर सकें।

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