पुखराज (Yellow Sapphire) रत्न ज्योतिष शास्त्र में सबसे प्रभावशाली और शुभ रत्नों में से एक है। इसका रंग हल्के पीले से लेकर गहरे सुनहरे तक पाया जाता है। यह रत्न मुख्य रूप से श्रीलंका, थाईलैंड और अफ्रीका से प्राप्त होता है। हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में इसे बृहस्पति ग्रह का रत्न माना जाता है।
बृहस्पति को “गुरु” भी कहा जाता है। यह ग्रह ज्ञान, शिक्षा, संतान, विवाह, भाग्य, धन और धर्म का स्वामी है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति मजबूत स्थिति में होता है, वह जीवन में सफलता, धन, प्रतिष्ठा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। वहीं, यदि बृहस्पति अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को आर्थिक कठिनाइयाँ, शिक्षा में बाधा, वैवाहिक जीवन में तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में पुखराज धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह न केवल बृहस्पति को मजबूत करता है, बल्कि जीवन की नकारात्मक परिस्थितियों को भी सकारात्मक दिशा में बदल देता है।
पुखराज किस दिन पहनना चाहिए
पुखराज को गुरुवार के दिन सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में धारण करना सबसे उत्तम माना गया है। यह दिन स्वयं बृहस्पति देव का होता है और पुखराज उनका ही प्रतिनिधि रत्न है।
क्यों गुरुवार का दिन ही शुभ है?
- बृहस्पति का दिन: गुरुवार को बृहस्पति देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक महत्व: गुरुवार को गुरु और ज्ञान की पूजा की जाती है। इस दिन पीला रंग और पीली वस्तुएँ दान करना भी विशेष पुण्यकारी माना गया है।
- ऊर्जा संतुलन: पुखराज में मौजूद ऊर्जा और गुरुवार के दिन की ऊर्जा का आपसी तालमेल इसे और अधिक शक्तिशाली बना देता है।
पुखराज पहनने का शुभ मुहूर्त
- पुखराज को सूर्योदय के 1 घंटे के भीतर पहनना सबसे उत्तम माना गया है।
- इसे शुक्ल पक्ष में धारण करना चाहिए, क्योंकि इस समय चंद्रमा की ऊर्जा भी सकारात्मक और बढ़ती हुई होती है।
- यदि पुखराज को पुष्य, पुनर्वसु या विशाखा नक्षत्र में धारण किया जाए तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है।
पुखराज धारण करने की विधि
1. शुद्धिकरण प्रक्रिया
रत्न को धारण करने से पहले उसकी शुद्धि करना अनिवार्य है। ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि रत्न धरती से निकलते समय और बाजार में आने के दौरान विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं से प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए इन्हें पहनने से पहले शुद्ध करना आवश्यक है।
- एक छोटे पात्र में गंगाजल, कच्चा दूध और तुलसी के पत्ते डालें।
- पुखराज की अंगूठी या पेंडेंट को इसमें 20-30 मिनट के लिए रखें।
- इसके बाद साफ जल से धो लें और पीले कपड़े पर रखकर सुखाएं।
2. मंत्र जाप
रत्न धारण करने से पहले मंत्र जाप करने से इसकी ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। आप निम्न मंत्रों में से किसी एक का 108 बार जाप कर सकते हैं:
- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
इससे रत्न में सकारात्मक ऊर्जा संचारित होती है और यह शीघ्र फल देने लगता है।
3. अंगूठी और धातु का चयन
- पुखराज को हमेशा सोने में ही जड़वाना शुभ होता है। सोना बृहस्पति ग्रह का धातु है और यह उसकी शक्ति को बढ़ाता है।
- पुरुष इसे दाहिने हाथ की तर्जनी (पहली उंगली) में पहनें।
- महिलाएँ इसे किसी भी हाथ की तर्जनी में धारण कर सकती हैं।
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पुखराज पहनने के फायदे
1. आर्थिक स्थिति में सुधार
पुखराज धारण करने से धन प्राप्ति के नए अवसर खुलते हैं। व्यवसायी वर्ग के लिए यह अत्यंत लाभकारी माना गया है।
2. शिक्षा और करियर में सफलता
विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों के लिए पुखराज विशेष रूप से शुभ है। यह एकाग्रता और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
3. वैवाहिक जीवन में सुधार
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो या दांपत्य जीवन में कलह हो, उनके लिए पुखराज किसी वरदान से कम नहीं है। यह रिश्तों में मधुरता और स्थिरता लाता है।
4. संतान सुख
पुखराज धारण करने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा में सुधार होता है।
5. मानसिक और आध्यात्मिक लाभ
यह रत्न मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच प्रदान करता है। साथ ही यह आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है।
पुखराज पहनते समय सावधानियाँ
- हमेशा असली और नैचुरल पुखराज ही पहनें। नकली रत्न पहनने से लाभ नहीं मिलता।
- इसे धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।
- रत्न को नियमित रूप से साफ करें। साबुन, डिटर्जेंट या केमिकल का प्रयोग न करें।
- अगर पुखराज में दरार आ जाए या इसका रंग फीका पड़ जाए, तो इसे तुरंत बदल देना चाहिए।
पुखराज किसे नहीं पहनना चाहिए?
- जिनकी कुंडली में बृहस्पति प्रतिकूल या नीच राशि में हो।
- यदि शनि, राहु या केतु का बृहस्पति पर प्रबल दृष्टि या प्रभाव हो तो बिना सलाह पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
- वृश्चिक और मकर राशि वालों को यह रत्न सामान्यतः अनुकूल नहीं माना जाता।
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पुखराज कितने कैरेट का पहनना चाहिए?
ज्योतिष के अनुसार पुखराज का वजन व्यक्ति के शरीर के वजन के आधार पर तय किया जाता है।
- हर 12 किलो वजन पर 1 रत्ती (लगभग 0.91 कैरेट) पुखराज होना चाहिए।
- उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति का वजन 60 किलो है तो उसे लगभग 5 रत्ती (4.5-5 कैरेट) पुखराज पहनना चाहिए।
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निष्कर्ष
पुखराज (Yellow Sapphire) रत्न ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शक्तिशाली और शुभ माना गया है। यह न केवल आर्थिक स्थिति और करियर में सफलता दिलाता है, बल्कि विवाह, संतान सुख और मानसिक शांति जैसे जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसे सही दिन, शुभ मुहूर्त और उचित विधि से धारण करने पर इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि हमेशा असली और प्रमाणित पुखराज ही पहनें और इसे धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें। सही मार्गदर्शन और आस्था के साथ धारण किया गया पुखराज जीवन को समृद्धि, सौभाग्य और आत्मिक शांति से भर सकता है।

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