जमुनिया रत्न पहनने की विधि | किस उंगली में, किस धातु में, और कितने रत्ती का पहनें

जमुनिया रत्न पहनने की विधि | किस उंगली में, किस धातु में, और कितने रत्ती का पहनें

जमुनिया रत्न, जिसे अंग्रेज़ी में Amethyst Gemstone कहा जाता है, भारतीय ज्योतिष और रत्न शास्त्र में एक बेहद महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है। यह रत्न मुख्य रूप से शनि ग्रह से संबंधित है और जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर होता है या शनि की दशा से परेशानियां आती हैं, उनके लिए यह रत्न अत्यंत लाभकारी साबित होता है। इसका रंग गहरा बैंगनी या जामुनी होता है, जो देखने में बहुत आकर्षक और मन को मोह लेने वाला होता है। यह न केवल सौंदर्य की दृष्टि से सुंदर है बल्कि मानसिक शांति, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए भी जाना जाता है।

लेकिन केवल रत्न खरीद लेना ही पर्याप्त नहीं है। अगर इसे गलत विधि से पहना जाए तो इसका पूरा प्रभाव नहीं मिल पाता। ज्योतिष शास्त्र में यह स्पष्ट बताया गया है कि हर रत्न को धारण करने से पहले कुछ नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक होता है। जमुनिया रत्न भी उसी श्रेणी में आता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले इसके सही दिन, सही समय, शुद्धिकरण प्रक्रिया और मंत्र जाप का पालन करना बहुत ज़रूरी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि जमुनिया रत्न पहनने की सही विधि क्या है, किस धातु और किस उंगली में इसे पहनना चाहिए और कितने रत्ती का धारण करना उचित होता है।

जमुनिया रत्न पहनने का शुभ दिन और समय

ज्योतिष के अनुसार हर रत्न को ग्रहों की स्थिति के आधार पर चुना और धारण किया जाता है। चूंकि जमुनिया रत्न शनि ग्रह से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे शनिवार के दिन पहनना सबसे शुभ माना गया है। शनिवार को शनि देव का दिन माना जाता है और इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए यह रत्न पहनना विशेष फलदायी होता है।

  • शनिवार की सुबह स्नान करने के बाद, साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण कर शनि देव की पूजा करें और फिर रत्न को धारण करें।
  • कई विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार, शनिवार की संध्या, सूर्यास्त के बाद या चंद्रमा के अस्त होने के समय इस रत्न को धारण करना और भी शुभ परिणाम देता है।
  • अगर शनिवार संभव न हो, तो कुछ लोग इसे शुक्ल पक्ष के किसी अन्य दिन भी धारण करते हैं, लेकिन सर्वोत्तम फल के लिए शनिवार ही उपयुक्त है।

जमुनिया रत्न पहनने की विधि

रत्न धारण करने से पहले उसकी विधि और शुद्धिकरण का पालन करना बेहद आवश्यक है। आइए इसकी सही विधि को विस्तार से जानते हैं।

1. स्नान और शुद्धिकरण

सबसे पहले शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान पर शनि देव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर रत्न को धारण करने की तैयारी करें। रत्न को धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि माना जाता है कि बिना शुद्धिकरण के रत्न पर पुरानी ऊर्जा या किसी अन्य के स्पर्श की छाया रह सकती है।

  • अंगूठी या लॉकेट में जड़े हुए जमुनिया रत्न को गंगाजल, कच्चे दूध, शहद और तुलसी पत्तों वाले जल में कुछ समय तक डुबोकर रखें।
  • इस प्रक्रिया से रत्न पर जमी अशुद्धियां और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और रत्न पूरी तरह से पवित्र और ऊर्जावान हो जाता है।

2. मंत्र जाप

रत्न को शुद्ध करने के बाद इसे एक साफ सफेद कपड़े पर रखें। अब शनि देव का ध्यान करें और उनके मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप से रत्न और अधिक शक्तिशाली हो जाता है और धारण करने वाले को इसका पूरा लाभ मिलता है।

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इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। जाप पूरा होने के बाद रत्न को अपने माथे से लगाकर प्रणाम करें और फिर इसे धारण करें।

3. धारण करने का नियम

  • जमुनिया रत्न को हमेशा चांदी या पंचधातु में जड़वाकर पहनना शुभ माना गया है।
  • इसे दाहिने हाथ की मध्यमा (मिडल) उंगली में ही पहनना चाहिए, क्योंकि यह उंगली शनि ग्रह से संबंधित है।
  • माना जाता है कि शनि की ऊर्जा सीधे इस उंगली से शरीर में प्रवेश करती है और व्यक्ति को सकारात्मक प्रभाव देती है।

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जमुनिया रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए?

रत्न का वजन व्यक्ति के शरीर और उसकी ज्योतिषीय स्थिति के अनुसार तय किया जाता है। सामान्य नियम यह है कि हर 12 किलो वजन पर 1 रत्ती रत्न धारण करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति का वजन 60 किलो है तो उसके लिए लगभग 5 रत्ती का जमुनिया रत्न उचित होगा। लेकिन ध्यान रहे कि यह केवल एक सामान्य नियम है। सटीक रत्ती का निर्धारण किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करके ही करना चाहिए ताकि रत्न का प्रभाव सही रूप से मिले।

जमुनिया रत्न किस धातु में पहनें?

जमुनिया रत्न को धारण करने के लिए चांदी और पंचधातु को सबसे शुभ माना गया है। इन धातुओं में जड़वाकर पहना गया रत्न जल्दी प्रभाव दिखाता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। इसे शनिवार की शाम को पहनना सबसे शुभ समय माना जाता है। रत्न धारण करने से पहले इसका गंगाजल, दूध और शहद से शुद्धिकरण करना अनिवार्य है। यह रत्न स्त्रियों और पुरुषों दोनों के लिए समान रूप से लाभकारी है।

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जमुनिया रत्न किस उंगली में पहनें?

ज्योतिष शास्त्र में यह स्पष्ट बताया गया है कि जमुनिया रत्न को दाहिने हाथ की मध्यमा (मिडल) उंगली में ही पहनना चाहिए। मध्यमा उंगली शनि ग्रह से जुड़ी होती है और जब यह रत्न इस उंगली में धारण किया जाता है तो शनि की ऊर्जा सीधा व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालती है। यह रत्न नकारात्मकता को कम करके जीवन में सकारात्मकता, मानसिक शांति और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।

निष्कर्ष

जमुनिया रत्न केवल एक सुंदर पत्थर ही नहीं है, बल्कि यह जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मकता लाने वाला एक शक्तिशाली रत्न है। लेकिन इसका सही लाभ तभी मिलता है जब इसे उचित विधि, उचित धातु और उचित उंगली में धारण किया जाए। गलत तरीके से पहना गया रत्न अपेक्षित परिणाम नहीं देता। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि रत्न खरीदते समय यह प्राकृतिक (Natural) और प्रमाणित (Certified) होना चाहिए। इस तरह धारण किया गया जमुनिया रत्न जीवन की कई कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है और व्यक्ति को आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्रदान करता है।

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