पुखराज (Yellow Sapphire) एक अत्यंत शक्तिशाली और शुभ रत्न है, जिसे बृहस्पति ग्रह (गुरु) का प्रतिनिधि माना जाता है। यह रत्न व्यक्ति को ज्ञान, धन, संतान सुख, वैवाहिक जीवन में स्थिरता और करियर में सफलता प्रदान करता है। लेकिन पुखराज तभी फलदायी होता है जब इसे सही रत्ती (वजन) में धारण किया जाए।
अक्सर लोग बिना किसी ज्योतिषीय परामर्श के पुखराज पहन लेते हैं, जिससे उन्हें लाभ की जगह हानि का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सबसे पहले समझते हैं कि पुखराज कितने रत्ती का पहने और इसकी गणना कैसे की जाती है।
पुखराज कितने रत्ती का पहने (Kitne Ratti ka Pukhraj Pahnana Chahie)
पुखराज रत्न का सही वजन (रत्ती) व्यक्ति के शरीर के भार पर निर्भर करता है। सामान्यतः हर 12 किलो वजन पर 1 रत्ती (लगभग 0.91 कैरेट) पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का वजन 60 किलो है तो उसे लगभग 5 रत्ती का पुखराज धारण करना चाहिए। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि वयस्क व्यक्ति को 5 रत्ती से कम का पुखराज नहीं पहनना चाहिए, जबकि छोटे बच्चों के लिए 3 या सवा 3 रत्ती का पुखराज उपयुक्त माना जाता है।
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पुखराज का वजन कैसे तय करें?
1. शरीर के वजन के अनुसार
ज्योतिष शास्त्र में पुखराज की रत्ती का निर्धारण मुख्य रूप से शरीर के वजन से किया जाता है।
- सामान्य नियम: हर 12 किलो वजन पर 1 रत्ती (लगभग 0.91 कैरेट) पुखराज।
उदाहरण:
- 60 किलो वजन = 5 रत्ती पुखराज
- 72 किलो वजन = 6 रत्ती पुखराज
- 84 किलो वजन = 7 रत्ती पुखराज
NOTE: ध्यान रखें कि 5 रत्ती से कम पुखराज वयस्क व्यक्ति को नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि इससे अपेक्षित लाभ नहीं मिलता।
2. आयु के अनुसार
- 23 वर्ष से कम आयु वाले लोग: 3 से 5 रत्ती तक का पुखराज धारण कर सकते हैं।
- 23 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग: 5 से 7 रत्ती का पुखराज अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
3. किन रत्तियों से बचें?
ज्योतिषीय मान्यता है कि 6, 11 और 14 रत्ती का पुखराज धारण करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ फल दे सकता है।
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पुखराज धारण करने के महत्वपूर्ण नियम
1. ज्योतिषीय परामर्श
हर व्यक्ति के लिए पुखराज शुभ नहीं होता। इसे पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाकर ही धारण करें।
2. रत्न की शुद्धता
- पुखराज हमेशा नेचुरल, ओरिजिनल और अनट्रीटेड होना चाहिए।
- इसमें किसी प्रकार का दाग, दरार, धुंधलापन या गड्ढा नहीं होना चाहिए।
- हल्के पीले से लेकर सुनहरे पीले रंग का पुखराज सबसे उत्तम माना जाता है।
3. धातु और पहनने का दिन
- पुखराज को सोने की अंगूठी में जड़वाना सबसे शुभ है।
- इसे गुरुवार, शुक्ल पक्ष के दिन, ब्रह्म मुहूर्त या सूर्य उदय के समय धारण करना चाहिए।
- इसे दाहिने हाथ की तर्जनी (Index Finger) में पहनना चाहिए।
4. शुद्धिकरण विधि
- अंगूठी पहनने से पहले इसे शुद्ध करना आवश्यक है। इसके लिए:
- अंगूठी को गंगाजल, कच्चा दूध, दही, शहद और शुद्ध घी के मिश्रण में डुबोकर रखें।
- फिर “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- इसके बाद ही अंगूठी धारण करें।
5. साफ-सफाई और देखभाल
- पुखराज पर धूल या गंदगी जमने से इसका प्रभाव कम हो सकता है।
- इसे समय-समय पर मुलायम ब्रश और गुनगुने पानी से साफ करें।
- तेज केमिकल या डिटर्जेंट से इसे कभी साफ न करें।
Janne पुखराज रत्न के नुकसान
पुखराज पहनने से लाभ
- विवाह में विलंब दूर होता है।
- शिक्षा और करियर में सफलता मिलती है।
- धन, समृद्धि और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सुधार होता है।
- आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है।
Read More पुखराज पहनने के फायदे
निष्कर्ष
पुखराज धारण करने से पहले इसका सही रत्ती का चयन अत्यंत आवश्यक है। सामान्यतः 60 किलो वजन वाले व्यक्ति को 5 रत्ती का पुखराज पहनना चाहिए, और शरीर के हर 12 किलो वजन पर 1 रत्ती का हिसाब लगाया जाता है। साथ ही, शुद्ध और असली पुखराज ही पहनें तथा किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेना न भूलें।

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