पुखराज (Yellow Sapphire) रत्न को वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का प्रतीक माना जाता है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा गया है, जो ज्ञान, धर्म, धन, सुख और वैवाहिक जीवन को संवारने वाला ग्रह है। इसलिए पुखराज को धारण करने से इंसान के जीवन में धन-संपत्ति, सम्मान, शिक्षा और भाग्य के योग मजबूत होते हैं। यह रत्न तब और अधिक लाभ देता है जब इसे सही उंगली, सही धातु और सही दिन-समय में पहना जाए। यदि पुखराज को गलत तरीके से पहन लिया जाए तो इसका प्रभाव कम हो सकता है। आइए, अब विस्तार से जानते हैं कि पुखराज रत्न किस उंगली में पहना जाना चाहिए और इसके पहनने के अन्य महत्वपूर्ण नियम क्या हैं।
पुखराज रत्न किस उंगली में पहने (Pukhraj kis ungli mein pehna jata hai)
ज्योतिष के अनुसार पुरुषों को पुखराज रत्न दाएं हाथ की तर्जनी (Index Finger) में पहनना चाहिए। तर्जनी उंगली को बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि माना गया है। यह उंगली नेतृत्व, आत्मविश्वास, ज्ञान और धार्मिक विचारों का प्रतीक है। जब पुरुष पुखराज को दाएं हाथ की तर्जनी में पहनते हैं, तो उनकी करियर ग्रोथ, धन लाभ और सामाजिक सम्मान बढ़ने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
महिलाओं के लिए नियम थोड़ा अलग है। महिलाएं अपनी सुविधा के अनुसार इसे किसी भी हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर सकती हैं। बहुत सी महिलाएं दाएं हाथ में पहनती हैं, लेकिन यदि किसी कारणवश बाएं हाथ में पहनना अधिक आरामदायक लगे तो ऐसा करना भी पूरी तरह ठीक है।
यह परंपरा प्राचीन वैदिक ज्योतिष पर आधारित है। हमारे शास्त्र बताते हैं कि तर्जनी उंगली में पुखराज धारण करने से बृहस्पति के शुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
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पुखराज पहनने का सही समय और दिन
केवल उंगली ही नहीं, पुखराज पहनने का समय और दिन भी बेहद अहम है। ज्योतिष के अनुसार,
- इस रत्न को शुक्ल पक्ष के गुरुवार को पहनना सबसे शुभ माना जाता है।
- दिन का समय सूर्योदय के आसपास, यानी सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच सबसे उत्तम है।
गुरुवार को बृहस्पति ग्रह का दिन कहा जाता है। इस समय पुखराज धारण करने से ग्रह की सकारात्मक किरणें अधिक बलशाली होती हैं और रत्न जल्दी सक्रिय होकर अपना असर दिखाना शुरू करता है। कई ज्योतिषाचार्य सलाह देते हैं कि गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पूजा करने और भगवान विष्णु या बृहस्पति देव को प्रसन्न करने से पुखराज का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
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पुखराज पहनने से पहले शुद्धिकरण की तैयारी
रत्न को धारण करने से पहले उसका शुद्धिकरण करना बहुत जरूरी है ताकि सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सके। आप यह प्रक्रिया इस तरह करें:
- सबसे पहले पुखराज रत्न को गंगाजल, कच्चा दूध और शहद के मिश्रण में कम से कम 15-20 मिनट तक रखें।
- इसके बाद अंगूठी को साफ पानी से धोकर पीले या सफेद कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें।
- अंगूठी को अपने सामने रखकर “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- मंत्र जाप के बाद अंगूठी को दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में पहन लें।
यह प्रक्रिया रत्न को शुद्ध करने के साथ-साथ उसे आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है और बृहस्पति की सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करती है।
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पुखराज के लिए सही धातु
पुखराज को सोने या पंचधातु की अंगूठी में जड़वाना सबसे शुभ माना गया है। सोना स्वयं बृहस्पति ग्रह की धातु है, इसलिए यह रत्न के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है। पंचधातु (सोना, चांदी, तांबा, लोहा और जस्ता का मिश्रण) भी बहुत शुभ मानी जाती है और यह बृहस्पति की ऊर्जा को संतुलित रखने में मदद करती है।
अगर सोने की अंगूठी पहनना संभव न हो तो आप पंचधातु का विकल्प भी चुन सकते हैं, लेकिन ज्यादातर ज्योतिषाचार्य सोने की ही सलाह देते हैं क्योंकि यह रत्न को तेज और चमकदार बनाता है।
पुखराज पहनने से पहले ज्योतिषीय सलाह क्यों जरूरी है
हर इंसान की जन्मकुंडली अलग होती है और ग्रहों की स्थिति भी। पुखराज एक शक्तिशाली रत्न है, जो तभी लाभ देता है जब बृहस्पति आपकी कुंडली में शुभ स्थिति में हो। यदि बृहस्पति अशुभ स्थान पर हो या शत्रु ग्रहों से पीड़ित हो, तो पुखराज पहनने से लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है।
इसी कारण से, पुखराज धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से अपनी जन्मकुंडली का गहराई से विश्लेषण करवाना आवश्यक है। सही सलाह आपको इस रत्न से अधिकतम लाभ दिलाती है और किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचाती है।
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पुखराज पहनने के लाभ
सही विधि से पुखराज पहनने पर यह रत्न कई अद्भुत फायदे प्रदान करता है:
- धन और करियर में उन्नति: नौकरी या व्यवसाय में तरक्की, अचानक धन प्राप्ति और स्थिरता बढ़ती है।
- वैवाहिक जीवन में मधुरता: पति-पत्नी के रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य आता है।
- शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि: विद्यार्थियों के लिए यह रत्न विशेष लाभकारी है।
- स्वास्थ्य में सुधार: लीवर, पेट और पाचन से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है।
- संतान सुख में वृद्धि: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए यह रत्न बहुत उपयोगी है।
इन लाभों का अनुभव तभी संभव है जब पुखराज को पूरी विधि और शुद्धता के साथ धारण किया जाए।
निष्कर्ष
पुखराज रत्न को सही उंगली, सही धातु और सही समय में पहनना बेहद ज़रूरी है, तभी यह बृहस्पति ग्रह की पूरी सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। पुरुषों के लिए दाएं हाथ की तर्जनी उंगली और महिलाओं के लिए किसी भी हाथ की तर्जनी उंगली सबसे उपयुक्त मानी गई है। इसे शुक्ल पक्ष के गुरुवार, सूर्योदय के समय पहनने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
धारण करने से पहले रत्न का शुद्धिकरण और “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना न भूलें। साथ ही, जन्मकुंडली की जांच किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से करवाना भी अनिवार्य है, ताकि रत्न का असर आपके ग्रह-योग के अनुसार पूरी तरह लाभदायक हो।
संक्षेप में, पुखराज केवल एक सुंदर आभूषण नहीं बल्कि एक शक्तिशाली ज्योतिषीय रत्न है, जो धन, शिक्षा, करियर और वैवाहिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है बस शर्त यही है कि इसे पूरी विधि और सही मार्गदर्शन के साथ पहना जाए।

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