कुंडली में 12 भाव के स्वामी | Rashi Kundli Ke 12 Bhav Ke Swami

कुंडली में 12 भाव के स्वामी | Rashi Kundli Ke 12 Bhav Ke Swami

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का महत्व बहुत अधिक माना गया है। जन्म के समय आकाश में उपस्थित ग्रह, नक्षत्र और राशियों का संयोजन ही जन्म कुंडली बनाता है। कुंडली को ज्योतिष शास्त्र में पत्रिका या जन्मपत्री भी कहते हैं। जब कोई व्यक्ति इस पृथ्वी पर जन्म लेता है, उसी समय उसकी कुंडली तैयार हो जाती है।

जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित होती है, वही जातक की लग्न राशि होती है। इस लग्न के आधार पर संपूर्ण कुंडली का निर्माण होता है। कुंडली को 12 बराबर हिस्सों में बांटा गया है, जिसे कुंडली के 12 भाव कहते हैं। प्रत्येक भाव का अपने जीवन में विशेष महत्व और अर्थ होता है।

कुंडली के 12 भाव जातक के स्वभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, करियर, आर्थिक स्थिति, वैवाहिक जीवन और बच्चों से जुड़े विषयों की जानकारी देते हैं। इसके अलावा, कुंडली के माध्यम से वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

कुंडली के 12 भाव और उनके महत्व (Jyotish kundli ke 12 bhav aur unke mahatva)

1. लग्न भाव (पहला भाव)

यह भाव जातक के स्वभाव, शरीर और व्यक्तित्व का परिचायक होता है। जन्म कुंडली में पहले भाव का स्वामी ग्रह जातक के व्यक्तित्व और जीवन की दिशा को नियंत्रित करता है।

2. द्वितीय भाव

इस भाव से धन, परिवार और वाणी के विषयों का पता चलता है। द्वितीय भाव के स्वामी और कारक ग्रह जातक की आर्थिक स्थिति और परिवारिक सुख-शांति का संकेत देते हैं।

3. तृतीय भाव

साहस, पराक्रम और भाई-बहन के संबंध इस भाव से देखे जाते हैं।

4. चतुर्थ भाव

सुख, वाहन, भूमि, माता और घर के मामलों का प्रतीक है।

5. पंचम भाव

संतान, शिक्षा, विद्या और मानसिक प्रतिभा का भाव है।

6. षष्ठम भाव

इस भाव से शत्रु, रोग और परेशानियों का पता चलता है।

7. सप्तम भाव

जीवनसाथी, विवाह और व्यापारिक साझेदारी के विषय इस भाव से देखे जाते हैं।

8. अष्टम भाव

आयु, रहस्यमयी ज्ञान, तंत्र-मंत्र और छिपी शक्तियों का संकेत देता है।

9. नवम भाव

भाग्य, पिता, धर्म और उच्च शिक्षा से जुड़ा होता है।

10. दशम भाव

करियर, व्यवसाय और समाज में मान-सम्मान के विषय।

11. एकादश भाव

इच्छापूर्ति, आयु, लाभ और आकांक्षाओं का भाव है।

12. द्वादश भाव

व्यय, मोक्ष और जीवन के अंतिम चरण का संकेत देता है।

Read 12 Houses In Astrology And Their Lords in English

कुंडली में 12 भाव के स्वामी और कारक ग्रह (Kundli ke 12 bhav aur unke karak grah)

कुंडली में हर भाव का एक स्वामी ग्रह और कारक ग्रह होता है। इन्हें जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि यही ग्रह जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं।

भावस्वामी ग्रहकारक ग्रह
पहला भावमंगल देवसूर्य
दूसरा भावशुक्र देवबृहस्पति (गुरु)
तीसरा भावबुधमंगल
चौथा भावचंद्रमाचंद्रदेव
पांचवां भावसूर्यगुरु (बृहस्पति)
छठा भावबुधकेतु
सातवां भावशुक्रशुक्र, बुध
आठवां भावमंगलशनि, मंगल, चंद्रमा
नवां भावबृहस्पति (देवगुरु)गुरु
दसवां भावशनिशनि
ग्यारहवां भावशनिगुरु
बारहवां भावबृहस्पतिराहु

यह राशि कुंडली में भाव के स्वामी ग्रह जातक के जीवन में विभिन्न क्षेत्रों पर विशेष प्रभाव डालते हैं।

कुंडली में भाव कैसे देखें?

  • जन्म के समय तैयार राशि कुंडली में भावों का चार्ट देखें।
  • पहले भाव को लग्न के रूप में पहचानें और इसके बाद क्रमशः दूसरे से बारहवें भाव तक देखें।
  • प्रत्येक भाव का स्वामी ग्रह और कारक ग्रह जानें।
  • कुंडली में ग्रहों के घर और उनकी स्थिति से जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करें।

नोट: यदि आप जानना चाहते हैं कि कुंडली में कौन सा घर किस ग्रह का होता है, तो ऊपर दिए गए स्वामी और कारक ग्रह तालिका की मदद ले सकते हैं।

निष्कर्ष

कुंडली का अध्ययन जीवन के सभी पहलुओं को समझने में मदद करता है। 12 houses in kundli in hindi और उनके स्वामी ग्रह की जानकारी से आप अपने करियर, स्वास्थ्य, परिवार, धन, वैवाहिक जीवन और भाग्य का सही विश्लेषण कर सकते हैं। jyotish kundli ke 12 bhav और कुंडली में भाव कैसे देखे जैसे प्रश्नों के उत्तर आपको जन्म कुंडली के गहन अध्ययन से मिल सकते हैं।

यह ज्ञान न केवल भविष्यवाणियों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि आत्म-ज्ञान और जीवन में सही निर्णय लेने में भी मदद करता है।

FAQs:

1. कुंडली में 12 भाव क्या हैं और उनका महत्व क्या है?

कुंडली में 12 भाव, जन्म कुंडली के 12 बराबर हिस्से होते हैं। प्रत्येक भाव का अपने जीवन में विशेष महत्व होता है। ये भाव जातक के स्वभाव, स्वास्थ्य, करियर, वैवाहिक जीवन, धन और बच्चों से जुड़े विषयों को दर्शाते हैं। कुंडली के इन भावों का सही अध्ययन करने से जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में मदद मिलती है।

2. कुंडली में भाव कैसे देखें?

कुंडली में भाव देखने के लिए सबसे पहले लग्न (पहला भाव) पहचानें। इसके बाद क्रमशः दूसरे से बारहवें भाव तक देखें। प्रत्येक भाव का स्वामी ग्रह और कारक ग्रह जानकर आप जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर सकते हैं। यह कुंडली भाव चार्ट देखने का आसान तरीका है।

3. 12 भाव का स्वामी कौन है और उनके प्रभाव क्या हैं?

कुंडली में हर भाव का एक स्वामी ग्रह और एक कारक ग्रह होता है। उदाहरण के लिए, पहला भाव (लग्न) का स्वामी मंगल देव और कारक ग्रह सूर्य हैं। इसी तरह, दूसरा भाव का स्वामी शुक्र देव और कारक ग्रह बृहस्पति हैं। ये ग्रह जातक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे धन, शिक्षा, करियर और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं।

4. कुंडली में कौन सा घर किस ग्रह का होता है?

ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक भाव का अपना ग्रह होता है। जैसे, तीसरा भाव का स्वामी बुध और कारक ग्रह मंगल हैं, चौथा भाव का स्वामी चंद्रमा और कारक ग्रह चंद्रदेव हैं। rashi kundli ke 12 bhav ke swami और उनके कारक ग्रह जानना कुंडली के सही विश्लेषण के लिए बहुत जरूरी है।

5. जन्म कुंडली का अध्ययन क्यों जरूरी है?

जन्म कुंडली में सभी 12 भाव और ग्रह जातक के वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में जानकारी देते हैं। jyotish kundli ke 12 bhav का सही अध्ययन करने से व्यक्ति अपने जीवन में स्वास्थ्य, धन, करियर, विवाह और भाग्य के विषय में सही निर्णय ले सकता है। यह आत्म-ज्ञान और जीवन में मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण साधन है।

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